मैने आपको 41 मिनट सुना, मेरे 883 शब्दों को बस 5 मिनट पढ़ लीजिए.
रवीश जी, आपके ब्लॉग से प्रेरणा लेकर 2010 में ब्लॉगिंग शुरु की थी, आपकी ही वजह से सालों बाद आज वापस आ रही हूं
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चलिए मान लिया कन्हैया उमर खालिद सब सही हैं गद्दार
वो हैं जिन्होने उन्हे गद्दार बनाकर इस देश पर थोप दिया लेकिन महोदय क्यों आप देश
के टुकड़े टुकड़े करने का दावा करने वाले उन नारों पर कुछ नहीं बोलते, बल्कि
ये बताते हैं कि जब कश्मीर में ये नारे दशकों से लगते रहे तो जेएनयू में क्यों
नहीं लग सकते?
आप उन चैनलों से पूछते हैं कि अगर वीडियो फर्जी निकल
गया तो क्या फिर से वह उतने ही घंटे चिल्ला चिल्लाकर प्रोग्राम चलाएँगे जितने
कन्हैया के विरोध में चलाए गए—मै आपसे पूछती हूँ रवीश जी कि हेडली
की गवाही के बाद ये सच सामने आने के बाद कि इशरत जहाँ फिदायीन थी आपने कितने घंटे
अपनी कुटिल मुस्कान और मध्यम आवाज़ में Prime Times किए?
या फिर आपके ही दोस्तों बरखा, सागरिका
और राजदीप (जिनके नाम आप 41 मिनट में में कई बार दोहराते रहे) ने कितने घंटे के
कार्यक्रम चलाए जब एक दशक तक मोदी को गुजरात दंगो का अपराधी बताने वाले आपलोगों के
एजेंडे को धता बताते हुए न्यायपालिका ने उन्हे क्लीन चिट दे दिया? अर्णब और दीपक चौरसिया को नीचा दिखाकर खुद को महान साबित करने की जो कोशिश
आपने कल की वो तब अपने इन दोस्तों के खिलाफ भी की होती जो SC के फैसले को भी दरनिकार करते हुए आजतक 2002 दंगों में मोदी को घसीटते रहते
हैं. लेकिन आपने ऐसा नहीं किया तो क्या ये मान लिया जाना चाहिए कि आपकी भी मौन
सहमति इसमें थी?
उमर खालिद को भागना नहीं चाहिए था आप ये कहते हैं
लेकिन अपने इस 41 मिनट के भाषण में 2011 में यूपीए सरकार के तत्कालीन
गृहराज्यमंत्री जितेंद्र सिंह का संसद में दिया गया वह लिखित जवाब क्यों नहीं
दिखाते जिसमें यूपीए सरकार ने 23 संगठनों को ‘Naxal Outfit’ का दर्जा देते हुए उन पर प्रतिबंध लगा होने को माना था. क्यों नहीं बताते
कि उन 23 संगठनों में आपके उमर खालिद का DSU भी था. आप कहीं भी ये
ज़िक्र तक क्यों नहीं करते कि 3 फरवरी से 9 फरवरी के बीच उमर खालिद के फोन से किए
और रिसीव किए गए 800 calls का क्या कारण था? वह 800 कॉल
पाकिस्तान, कश्मीर, खाड़ी देशों और
बांग्लादेश को क्यों किए गए?
आप भारत के संविधान की दुहाई देते हुए ये बताते हैं
कि क्यों सेक्युलर होना गुनाह नहीं है, सबको बोलने का हक है.
सहमत हूँ बिल्कुल नहीं है. लेकिन घुटने पर ज़रा ज़ोर डालिए और याद कीजिए संविधान के
मुताबिक ‘Contempt of Court’ की वो परिभाषा जिसके
दायरे में ‘Judicial Killing’ शब्द आता है और जिस पर
9 फरवरी का वह कार्यक्रम आयोजित किया गया था. बड़ी चतुराई से आप ये छुपा जाते हैं
कि अब अदालत की अवमानना के आरोप में आपके प्यारे कन्हैया, उमर
खालिद औऱ गिलानी को सुप्रीम कोर्ट में ये सफाई देनी होगी कि कैसे वह देश के
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को धता बता कर उसके खिलाफ कार्यक्रम आयोजित कर सकते
हैं.
खुद को महान दिखाने की कोशिश में आप बार बार ये बताते
हैं कि बाकी चैनलों के जैसा कभी आपने भी किया होगा. उनकी तरह कभी आप भी आरुषि केस
में जासूस बने होंग या कभी जज. सही है...लेकिन अच्छा होता Times now n India
News के archive रखने के साथ साथ आप अपने भी Archive से कभी उन prime times की क्लिप निकाल कर
हमें सुना देते जहाँ आप कभी काँग्रेस के तो कभी वामियों के प्रवक्ता की तरह व्यवहार
करते हैं.
अरे रवीश कुमार, अर्णब और दीपक में
हिम्मत तो है स्टैंड लेने की जो कभी बीफ मामले पर, तोगड़िया
और आदित्यनाथ के भड़काउ बयानों पर बीजेपी के विरोध में होता है तो कभी कांग्रेस और
वामियों की दोहरी राजनीति पर उनके विरोध में या फिर अरविंद
केजरीवाल की कथित स्वच्छ राजनीति की परतें उधेड़ने की. आप घुटनों को थपथपाइए और
याद कीजिए कि आपने ऐसा आखिरी बार कब किया था? कब आखिरी बार आपके
अंदर का बीजेपी विरोधी प्रवक्ता (पार्टी बदल सकती है) एंकर के खोल से बाहर निकला
था ?
एक वक्त वो भी था जब 2008 में महज़ 12 हज़ार की पहली
सैलरी से 8 हज़ार रुपए का टीवी और 2100 रुपए का टाटा स्काई मैने सिर्फ इसलिए खरीदा
था ताकि रवीश की रिपोर्ट देख सकूं. केबल कनेक्शन लेकर 1900 रुपए बचाए जा सकते थे
लेकिन वह नहीं बचे क्योंकि केबल पर NDTV नहीं आता था. एक समय
ये है जब आखिरी बार NDTV कब देखा था मुझे घुटना
थपथपाने पर भी शायद याद न आए.
जाइए उन्हे अपनी इस भर्राई आवाज़ से बरगलिए जो ये
जानते न हों कि अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करने वाले रवीश कुमार ने अपने एकाउँट
से पश्यन्ती शुक्ला को 4 साल पहले सिर्फ इसलिए unfrnd कर दिया था क्योंकि कमेंट में जहाँ तारीफें सुनने की आदत रही हो वहाँ एक
निम्न पत्रकार ने ये लिख दिया था कि- ‘सर आपसे सहमत नहीं हूँ, आप
चाहें तो तर्क प्रस्तुत करूँ’
उन्हें अपने मासूम होनें की सफाई दीजिए जिनसे आपने 2010 की
कुंभ की रिपोर्टिंग के दौरान मनसा देवी की पहाड़ी पर ये न कहा हो कि मै आधा बिहारी,
आधा बंगाली हूँ और बंगाल का मतलब मुझपर वामपंथ का प्रभाव है. ये अलग
बात है कि वामपंथ को आप सेक्युलर की श्रेणी में खड़ा करते हैं, और दक्षिणपंथियों को संघी कहकर बदनाम करते हैं.
जाइए जाकर उन्हे उल्लू बनाइए जो ये जानते न हों कि आप
कितने ‘घाघ’ हैं,
बहुत सशक्त प्रस्तुति ... मगर बिके हुए बेशर्मों से उम्मीद मत रखिए कि वह पैसे को भगवान मानने से छोड़ दें ...
ReplyDeleteVery well said!
ReplyDeleteThat is the reason #ShutDownNdtv trends these days. Shame on NDTV and it's journalists.
ReplyDeleteExcellent.
ReplyDeleteबधाई पपश्यंती बहिन । अच्छा होगा यदि रवीश जबाब दें जो कि वो कभी नही देंगे क्योंकि उन्हें देश के पक्ष मे कहने का कोई पेमेंट नही मिलता है और अब वो बिना कुछ मिले शायद अपने घर भी नही जाते । Shame Raveesh Shame,U hav disappointed me the most !!!
ReplyDeleteI know he won't dare to reply this
Deleteमैने आपको 41 मिनट सुना, मेरे 883 शब्दों को बस 5 मिनट पढ़ लीजिए
ReplyDelete:)
DeleteThanks i am taking this on whatsapp. !
ReplyDeleteThanks I am taking it for whatsapp.
ReplyDeleteOh please.... spread it as you want
DeleteYes Ravish Kumar, Indian media is indeed a dark place http://www.opindia.com/2016/02/yes-ravish-kumar-indian-media-is-indeed-a-dark-place/
ReplyDeleteSuperb Reply Pashyanti Shukla.......Ye wo Free speech ke jhnadabardaar hain jinhone inki baat ka samarthan na karne wale ko 1 minute mein block kar diya.....Ravish Jaisa #Dogla #PRESStitute maine dusra nhi dekha..
ReplyDeleteBut he will never accept it...
DeleteThanks madam aap ne acha javab Diya hai.
DeleteMaine v raveesh ji ka WO pralap suna hai, bada krodh aaya aur dukh v hua aaj kuch logo k karan media kitana neeche gir gaya hai, political ho gaya hai, har bat pe modi ji,bjp,RSS,ko doshi sabit karna fashion ban gaya hai. Fb me padha hai ki ndtv vrinda karat ki sister n jindal se sambandhit hai to ndtv ka left n congress prem dikhta v hai.par modi virodh me ye desh virodhi ho gaye ye kitna sarmnak hai!! Mai ye post fb me post karuga.
Well done Pashyanti!!!
ReplyDeleteFantastic reply to Ravish Kumar.
Thanks for taking time and going through this long write up
DeleteThanks madam aapne sateek javab diya hai.Maine v aaj ndtv me ravish ji ka pralap suna,sunkar krodh aaya ki bhart ka media kis tarah politics kar raha hai kis tarah modi ji ,bjp n rss ka virodh kar raha hai har bat par.
DeleteFb me post se pata chala ki ndtv brindra karat ki sister n Ek jindal se sambandhit hai to ndtv ka left and congress prem
Dikhta hai.
Mai aapki post fb me karuga.
Kudos to you madam for having shown this kind of audacity to write this beautiful truthful and brilliant post. Take a bow and myriad salutes.
ReplyDeleteCongrats pashyanti shukla ji.. Kya mast aaina dikhaya aapne... great..
ReplyDeleteबधाई हो आपने कई लोगो की आँखे खोली हे आज 👌🏾👌🏾
ReplyDeleteI just tried to expose his agenda
Deleteमैं उनमे से हूँ जो ये जानता हूँ की रविश बाबू कितने "घाघ" हैं....
ReplyDeleteशायद उमर का तो आधा भी नही होऊंगा उनसे अभी...ना टीवी देखने का मौका मिल पाता है छुट्टियों के सिवाय...
पर रविश सर,,, खबर तो हमलोग पढ़ते सुनते ही रहते हैं अखबार और twitter के जरिये !!
कुछ दिन पहले आपके नोएडा या गुड़गांव से सटे यूपी के किसी हिस्से मे एक पत्रकार को जला कर मार देने की घटना हुई "?"......
तब कोई जमीर ना जागा आपलोगों का ????
हां! हम शर्मिंदा हैं!
Thanks for sparing time and reading it..
Deletebhaiya, Sahi kaha....ye haraami ke pille Ravish aur Rajdeep 2002 ka goo khaate hue thakte nahi hain.....mai in dono haramio se 1 saal se pooch raha hun ki tumhari Garbh-ulti RAJESH VERMA bichare par kyun nahi nikati PET se jisko katuo ne 2013 me muzaffranagr me badi hi nirdayata se maar diya tha....magar ye itne bade haraami hain ki Questions inko sunte hi nahi hain aur sahi jawaab bhi nahi.....sunta hai to sirf jawaab jo ye sunna chahte hain ya inke khud ke swaal aur ye tab tak bhonkte rahte hain jab tak samne wala inke muh me na mut de ya fir inke saamne haath na jod le......
Deleteबधाई हो आपने कई लोगो की आँखे खोली हे आज 👌🏾👌🏾
ReplyDeletekoshish ki hai
Deleteपत्रकारिता के नाम पर आप (रवीश)देशद्रोही नारों की वकालत कैसे कर सकते है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आपने तो कॉमरेड की बोलती बंद कर दी
ReplyDeleteHats off yaar. Very good.
ReplyDeleteGreat... ye ravish jaise patrakar mitha jahar hai
ReplyDeleteजो ये सालों से देश में घोल रहे हैं
DeleteMa'am jab apko apne ghutne thapthapne k baad bhi yaad nahi Ki apne last time NDTV kab dekha tha to kal raat kya Bhakto k bhagwan Modi ji apke apne me aaye the Jo apne ravish ji KO 41 Minutes suna??????
ReplyDeleteJaao ma'am ye story andhbhkton aur fwku ji ko sunao kya pata apko bhi Padma Shri mil jaaye
Hahahahha LOL
Mr. Gupta, I think You are not aware there is a thing called internet where you can listen or watch videos, whenevr you want the same. रवीश का वीडियो उनके चैनल ने डाला है आप चाहें तो बार बार सुबह गायत्री मंत्र की जगह सुन सकते हैं. दिन अच्छा बीतेगा आपका
DeleteEk dam sahi... :)
Deletenice pashyanti ji.....one more Wicket down.....nice yorker....good...lage raho...PEST control achcha chal raha hai....
DeleteAppreciable, very good
ReplyDeleteThanks for your words
Deleteeye opener of Ravish Ku.
ReplyDeletehope he will read it..
DeleteSuperb.. True Analysis
ReplyDeleteThanks for your words
DeleteVery good reply to ravish Kumar ji. Aapne ravish ji ko aaina dikhaya hai. Agar media biased reporting karega to log toh aalochna karenge hi. Wampanthiyon ke likhe itihas ke karan aaj ye halaat hai ki sach jante huye bhi koi kahna nahi chahta. Agar media NE ye bhi dikhaya hota ki Pakistan ne us ladke ko jail mein daal diya jisne tiranga lagaya tha. Hum intolerant ho jaate hai agar Pakistan zindabad ka virodh karte hai. Baki sab log ke liye toh Pakistan abhi bhi chota Bhai hai
ReplyDeleteWaise aapke lekhan ka dhanybad.
Thanks for your words
DeleteWell done pashyanti you HV shown mirror to him. All neutral Indians must be vocal like this so these so-called media and politician will realize that the can't exploit this country any more
ReplyDeleteWell done pashyanti you HV shown mirror to him. All neutral Indians must be vocal like this so these so-called media and politician will realize that the can't exploit this country any more
ReplyDeleteWell done pashyanti you HV shown mirror to him. All neutral Indians must be vocal like this so these so-called media and politician will realize that the can't exploit this country any more
ReplyDeleteRavish dalla hai. He will not reply
ReplyDeleteis chitthi ko to physically unke residential ya official addrsss par ack k sath bheja jana chahiye immediately, pls DO this noble act...
ReplyDeleteWell done pashyanti . you HV shown mirror to him .now its high time all of us must contradict any wrong doing by these so called secular press who are encouraging anti nationals for supporting those corrupt politician
ReplyDeleteपश्यंती मैम,
ReplyDeleteमैं भी कभी जनपथ के बुक डिपो के सामने खड़े रवीश जी की रवीश की रिपोर्ट बड़े शौक से देखता था । उनका ब्लॉग क़स्बा बहुत तसल्ली से पढता था । उन्हें पढ़ते देखते एक ब्लॉग भी बनाया था जिसका अब पासवर्ड तक भूल चुका हूँ । लेकिन अब ज़रा भी इच्छा नहीं होती उन्हें सुनने पढ़ने यहाँ तक कि देखने की भी ।
वो आपकी इस पोस्ट का या ऐसी किसी की भी किसी पोस्ट का जवाब नहीं देंगें क्योंकि उनमें एक पत्रकार के कलम की ताक़त नहीं रही है । उनके कलम की स्याही, उनके शब्द सब कुछ पत्रकारिता को धता बताकर अपनी ही उड़ान उड़ रहे हैं ।
पश्यंती मैम,
ReplyDeleteमैं भी कभी जनपथ के बुक डिपो के सामने खड़े रवीश जी की रवीश की रिपोर्ट बड़े शौक से देखता था । उनका ब्लॉग क़स्बा बहुत तसल्ली से पढता था । उन्हें पढ़ते देखते एक ब्लॉग भी बनाया था जिसका अब पासवर्ड तक भूल चुका हूँ । लेकिन अब ज़रा भी इच्छा नहीं होती उन्हें सुनने पढ़ने यहाँ तक कि देखने की भी ।
वो आपकी इस पोस्ट का या ऐसी किसी की भी किसी पोस्ट का जवाब नहीं देंगें क्योंकि उनमें एक पत्रकार के कलम की ताक़त नहीं रही है । उनके कलम की स्याही, उनके शब्द सब कुछ पत्रकारिता को धता बताकर अपनी ही उड़ान उड़ रहे हैं ।
Brilliant piece Ma'am.
ReplyDeleteMind if I re-blog on my personal blog with all credits to you??
अच्छा लिखा है। रवीश वाक्पटुता से मुद्दे को घुमाने और बरगलाने में महारत हासिल किये हुए हैं। सोशल मीडिया ने इन सब को आइना दिखाया है और इन्हें बेचैन कर रखा है।
ReplyDeleteoh my god..!! how did u dare to say this?. it is their freedom of speech but when some BJP leaders makes some anti Muslim comment that is communal. they should not forget he also have a freedom of speech.one day they will say killing people is freedom of action.but the irony is they have forgotten 124A act of sedition. I am astonished how the people like rajdeep,barkha,ravish and many more are supporting anti India elements, they don't know what are they doing,today rajdeep was discussing who will be next PM..and his article "i am antinational" How radiculous and tragic is this.where is award wapsi brigade today.we are stand with arnab,deepak,G.D bakshi...we are always with you.
ReplyDeletejai hind
रविश एक नाम यह पाती हमने भी चिपकाई है उनके फेसबुक पर , और रोज चिपकाते है।।।
ReplyDeleteलोगो को डराने का आपका तरीका वाकई लाजवाब है ।
रविश जी एक नियम है जो सार्वभौमिक है उस नियम का किसी पार्टी से लेना देना नहीं है , पर आप चाहें तो इस नियम पर कोई भी लेबल लगा सकते हैं , वो नियम है आकर्षण का नियम, इस नियम के गूढ़ रहस्यों से लोग जिंदगी की आपा-धापी में व्यस्त रहने के कारण परिचित नहीं हो पाते , हो पाते तो आपके लेख के शीर्षक और जो फ़ोटू आपने चिपकाई है उसे देख कर ही सब समझ जाते , आप तो समझ ही जाएंगे वो क्या है कि आप आकर्षण के नियम को अच्छे से समझते है ।।। 13 साल से आप और आप की टीम लगी है वही कारण है कि आपका विषय बहुत मजबूत हो गया, ऐसे ही लगे रहिये आपका वो विषय और मजबूत हो जायगा ????? प्रणाम सर जी ������������������
साधुवाद इन बगुला भगतों की कलाई खोलने पर। यह महाशय तब कहाँ थे जब चार्ली हेबडो कार्टून रेप्रोदुस जरने पर शिरीन को अट्रेस्ट किया गया या कमलेश तिवारी को फ्रीडम ऑफ़ स्पीच नहीं है जो nsa में बंद होने के बाद भी मालदा में 2 लाख शांतिप्रिय भीड़ का कोप भजन बना और उसके सर पर करोड़ों का इनाम भी आप की पत्रकारिता की नींद को न तोड़ पाया। जनाब आप जो हैं पश्यन्तिका ने आप को साफ़ शब्दों में समझा दिया।
ReplyDeleteसुन्दर,अति सुन्दर
ReplyDeleteआईना दिखा दिया आपने
ReplyDeleteजब इंसान के पास अहम आ जाता है तो वो अकसर ज़मीनी हकीकत को दरकिनार कर देता है ये भी इस संसार का कटुर सत्य है। जय भारत
ReplyDeleteतमाचा!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
Bahut Sundar...........Pashyanti ji....Sach-much Aap apne naam ke anuroop hi hain....bahut harsh hua ki mere desh me GARGI jaisi vidushiyan abhi bhi meri Bhartiya Sanskriti ko Jeevit rakhe hue hain....aap jaisi NAARI-SHAKTI hi vigat bhavishya me MAA-BHARTI ki SHAKTI bane.....aisi kaamna karte hue bahut bahut Sadhuvaad apko.....ek DHOORT ki jado me mattha daalne ke liye....
ReplyDeleteबहुत ही सटीक बात सीधे शब्दों में।
ReplyDeleteपत्रकारिता को इन लोगों चाटुकारिता और पैसे में बदल दिया है।
रविश ने पुरे ऐपीसोड में सरकार , आरोपी पक्ष, पुलिस प्रशासन वकीलो के साथ साथ मीडिया सभी को बराबर महत्व दिया , पर सरकार का काम क्या होता हैं सरकार पहले दिन से ही असफल दिख रही थी अभी भी खाली हाथ ही हैं , बात लगातार बिगड रही हैं वजह चाहे बस्सी हो या वकील जो देशप्रेमी कम उन्मादी ज्यादा दिख रहे हैं , कोई आश्वर्य नही की काश्मीर में पी डी पी से बी जे पी का समझोता होते ही खालिद मिल जाऐ किसी नेता जी के था लावलश्क्र के साथ कोर्ट के प्रति सम्मान बताते हुऐ बेगुनाही का सर्टीफिकेट लिएै तब तक देश वालो अजमाते दिखाते बताते रहो कनहैया पर अपनी देश भक्ती ...... रविश के अंधेरे में हमें डर लग गया, हमें चिढ हो रही हैं क्येाकी हमें आदत पढ गई हैं सनसनी की ,हमारा मनोविज्ञान वो नही रहा कि जिसमें हम ये सुनकर आंखे बंद कर गंभीर हो जाते थे , ये आकाशवाणी है अब आप देवकीनंदन पांडे से समाचार सुनिऐ......दरअसल हम वैचारिक हाेते हाेते राजनीतिक मुनाफे के अंक गणित में आ फंसे है,हमें देश के बजाय सरकार की ज्यादा चिंता हैं
ReplyDeletePashyanti ji aapne to dhulai kar di rubbish Kumar ki. Thanks for exposing ndtv
ReplyDeleteWell done PS... ghagh ko mirror dikhaya... hez more cunning than rajdeep n barkha...
ReplyDeleteबहुत ही सही सवाल खडे किये है आपने ऐसे पत्रकारो पर मगर कुछ फायदा नही होगा ऐसे पत्रकारो की वजह से हमारे देश को असंतुलित करने के सही मायने में यही पत्रकार पुरी तरह से जिम्मेदार है
ReplyDeleteRavish Sir..... Please reply...If u dare....???????????
ReplyDeleteपश हमेशा से तुम्हारे इसी धारदार लेखन की फैन रही हूं। बहुत अच्छा।
ReplyDeleteExcellent reply pashyantiji,..... Ravish ji..... agar mard ho toh shuklaji k reply ka jawab do... ???
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