विज्ञान की मानें तो दुनिया में सबसे तेज गति 'प्रकाश' की होती है लेकिन 'गीता' में 'भगवान 'की कही सुने तो मन की...जाहिर हैं हममें से ज्य़ादातर आस्तिक ही होगें तो विश्वास विज्ञान से ज्यादा भगवान पर होगा......मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही होता है....जब जब दिल्ली की सड़कों पर कई कई किलोमीटर लंबे जाम में फंसती हूं तो उस जाम का अपोसिट रिएक्शन मेरे दिमाग में होने लगता है वैसे भी There is equal and opposite reaction always in nature..न्यूटन का गति का तीसरा नियम भी यही कहता है शायद इसीलिए जाम के उस ठहराव में मेरा मन बहुत तेज गति से दौड़ने लगता है इतनी तेजी से कि शायद प्रकाश भी उससे पनाह मांगता होगा....
सोचिए 'जाम' आपको क्या क्या देता है ........ दिल्ली की इस भागती दौड़ती जिंदगी में जब हमारे पास कमाने के चक्कर में खाने के लिए वक्त नहीं बचता तब ये जाम बिना मांगे बिना किसी प्रयास के हमें अपने लिए कुछ पल ही नहीं कई कई घंटे मुफ्त ही दे देता है वो भी हमारे कमाने के समय से निकालकर....वो घंटे वो वक्त जो सिर्फ हमारा होता है, जिस पर सिर्फ हमारा अधिकार होता है इसे हमसे कोई शेयर नहीं करना चाहता क्योकिं निजामुद्दीन पर जाम लगा है ये पता चलते ही अपने भी यू टर्न मारकर आईटीओ से निकल जाते हैं.......हर बार जाम मुझे एक नई सोच देकर जाता है इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ...
जिस दिन दिल्ली में एमसीडी की नई इमारत यानि दिल्ली की सबसे ऊंची (110 मीटर) बिल्डिंग का उद्घाटन हुआ हुआ मै कभी न खत्म होने से दिखने वाले एक जाम में फंस गई.... और उसी जाम के दौरान अपने जाम के साथी से मुझे पता चला कि अभी अभी गृहमंत्री ने उस इमारत का उद्घाटन कर दिया है जहां से आप पूरी दिल्ली देख सकेंगे, (अरे साथी से सोच में न पड़ जाइगा कि कौन, अरे वही अपना एफएम) ……इतना सुनना था कि मेरा मन फिर से विज्ञान को चुनौती देते हुए बीस साल आगे पहुंच गया...सोचिए बीस साल आगे की दिल्ली कैसी होगी...... कैसा होंगी दिल्ली की सड़के .........
अभी हम ऐसी इमारत बना रहे हैं जहां से सड़कों पर गाडियां माचिस की डिब्बी की तरह दिखती है और फ्लाईओवर्स किसी नाली की तरह, बीस साल बाद क्या होगा.... हम ऐसे फ्लाईओवर्स बनाएंगे जहां से इमारतें माचिस की डिब्बी की तरह दिखेंगी और फ्लाईओवर्स देखने के लिए इमारत की दसवीं मंजिल से भी गर्दन ऊंची करनी होगी.... अभी तो सड़को के जाम से निपटने के लिए फ्लाईओवर्स बन रहे हैं लेकिन फ्लाईओवर्स के जाम से निपटने के लिए क्या होगा.....अभी हम सड़कों पर फ्लाईओवर्स बनाते हैं फिर फ्लाईओवर्स पर फ्लाईओवर्स बनाएंगे यानि कई कई मंजिला फ्लाईओवर्स.........साइनेजेस पर लेफ्ट, राइट ,यूटर्न और स्ट्रेट के निशान नहीं होगे बल्कि ये नंबर लिखे रहेंगे की किस फ्लाईओवर की कौन सी मंजिल आपको कहां ले जाती है...राजीव चौक मेट्रो स्टेशन की तरह फ्लाईओवर्स के स्टेशन्स होंगे..1st फ्लोर से कनाट प्लेस जायेंगे, 2nd से चांदनी चौक और 5th वाली मंजिल आपको दिल्ली के दूसरे शहर यानि रोहिणी ले जाएगी.......हम रास्ता कुछ यूं बतायेंगे कि यहां से सीधा जाना पहले फ्लाईओवर की दूसरी मंजिल से उतर कर दूसरे की चौथी मंजिल से नीचे की तरफ देखने पर जो गोल चक्कर और उसके बीच में एकमात्र बिल्डिंग दिखाई देगी वही है इंडिया गेट.......ये कल्पना नहीं है ऐसा ही होना होगा क्योकि पहले गाड़ियां सड़कों पर चलने के लिए बनती थी अब गाड़ियों के लिए सड़कों पर फ्लाईओवर्स बनते हैं....
दिल्ली वाले बिहार से आने वाली रेलगाडियों की भीड़ देखकर अक्सर ये कहते हैं कि बिहार के आदमी का तो एक पैर ही ट्रेन में रहता है.....फिर दिल्ली की सड़कों को देखकर क्या कहा जाए...मै नहीं कहूंगी आप सोचिए.....