Wednesday, December 10, 2014

...तब क्या चैनल बैन कर देते?

2010 की बात है मै zee news में काम कर रही थी, हमारे यहाँ की ही एक एंकर/प्रोड्यूसर ने एक दूसरा चैनल ज्वाइन किया...कुछ दिन बाद पता चला कि रात को जब office की कैब से वो अपने घर जा रही थीं तब ड्राइवर ने कुछ जबर्दस्ती करने की कोशिश की.... वो कैब से Noida-GreaterNodia expressway पर कूद गई थीं...और कुछ बेहद बुरा होने से बच गया...वरना क्या उस चैनल पर बैन लग जाता, वो चैनल जो हमेशा TRP की रेस में Top5 में रहता है?आज इस घटना को 4 साल बाद इसलिए लिखा ताकि ये समझा जा सके कि Uber अकेली नहीं है, और न ही केवल App से बुक करने वाली company में ही ऐसा हो सकता है.मै बिल्कुल मानती हूँ कि Uber एक बदनाम कंपनी है, दुनिय के कई देशों में उस पर केस दर्ज हैं नीरलैंड के कई शहरों समेत कई जगह बैन है लेकिन सवाल ये है कि ये सवाल आज क्यों उठा? क्या रेप जैसी किसी घटना का इंतज़ार किया जा रहा था? इस बात पर चर्चा तब क्यों नहीं हुआ जब ये कंपनी दिल्ली में अपने पैर पसार रही थी? APP के ज़रिए कैब को न बुक करने की सलाह देने वाले तब कहाँ थे जब first time app download पर ये कंपनी 300 रुपए का डिस्काउंट दे रही थी? दरअसल हमारे देश की समस्या ये कि हम जब तक सोते हैं तब तक सोए ही रहते हैं और जागते हैं तो तुरंत समाधान चाहते हैं, ऐसे में खासतौर से जब 24*7 खबरिया चैनलों का ज़माना हो तो सरकार को ये डर लगना जायज़ है कि पत्रकारों के सवालों से कैसे बचेंगे. क्या बोलेंगे जब हमसे पूछा जाएगा कि इतने दिन उतने घंटे हो गए आपने क्या किया? तो भइया बैन लगा दो,जवाब देने को तो होगा कि कैब कंपनी पर बैन लगा दिया गया है, आगे की कार्रवाई चल रही है.कंपनी पर बैन लगाकर उसमें काम कर रहे हज़ारों कर्मचारियों के पेट पर लात मारने से कुछ नहीं बदलेगा, बदलना है तो अपना दिमाग़ अपना माहौल अपनी सोच बदलो.