Tuesday, March 30, 2010

....और मै सोचती रह गई

आज आफ था, बहुत सारे विषय दिमाग में आ रहे थे जिन पर अपनी भड़ास निकालने का मन हो रहा था..लेकिन ये हो न सका...
दरअसल हुआ यूं कि कुछ लिखती उससे पहले ही पढ़ना शुरु कर दिया.रवीश सर के ब्लाग पर बिहार का हाल जाना, आशुतोष जी के ब्लाग से अमिताभ और कांग्रेस की लड़ाई की असल वजह समझी, हांलाकि सुबह भास्कर में उनका लेख पहले ही पढ़ लिया था...फिर गल्ती से टीवी खोल लिया और सानिया और शोएब की शादी में दिलचस्पी आने लगी......अभी फिर से लिखने की सोच रही थी कि ट्विटर अपडेट्स पर राजदीप सर का 'take a chill pill' देखा, पढा तो जाना कि उन्होने लिखा था कि कैसे अब खेल और शादी के बहाने देश की सीमाएं पार होंगी..उन्होने तो एक लाइन लिखी लेकिन मै फिर सोचने लगी कि कैसे सानिया की शादी टूटी और शोएब की सगाई..मन को समझाया और एकाग्र होने की नसीहत दी...फिर लिखने बैठी..अभी कम्पोज पर क्लिक ही किया था कि एऩडीटीवी के अखिलेश सर का कमेंट पढते पढते उनका ब्लाग 'मेरी कही' देखा, नाम बड़ा इंन्ट्रेस्टिंग लगा 'मेरी कही' आखिर 'अनकही' से मिलता जो था...विजि़ट किया तो वहां मजहदी और बिरजू पर लेख पढ़कर सोच में चली गई...और अभी सोच से उबरी हूं ..

अब रात का 1 बज गया है, दिन बीत गया और अब आधी रात भी बीत चुकी है, जाहिर है अगला दिन भी लग गया होगा.... सारी भड़ास निकलने से पहले पेट में ही पच गई ....और मै सोचती रह गई.

Sunday, March 28, 2010

'अर्थ आवर'

हमेशा की तरह आज भी दिन की शुरुआत अखबारो के समंदर में गोता लगाने से ही हुई.....और हमेशा की ही तरह सभी अखबारों में कई खबरें कामन थीं..जैसे मोदी का एसआईटी पेशी मामला, आईपीएल में युसुफ पठान का कमाल, बाबरी मस्जिद विंध्वंस पर तत्कालीन आईपीएस अंजू गुप्ता के बयान ने कैसे बढ़ाई आडवाणी की मुश्किलें, और भी बहुत कुछ जो शायद अभी मुझे याद न आ रहा हो....लेकिन हां एक खबर बार बार मेरे दिमाग में क्लिक कर रही है कि आज शाम 8.30 से 9.30 तक कैसा होगा माहौल जब दुनिया के लगभग 90 देश मनाएंगे 'अर्थ आवर'...यानि ऊर्जा संरक्षण का संदेश देने की लगातार चौथे साल भी कोशिश की जायेगी. भारत में दिल्ली मुंबई जयपुर और बैंगलुरू के प्रमुख स्थान इस मुहिम में शामिल होंगे. दिल्ली का रिजर्व बैंक और उसी से थोड़ा सा ही दूर स्थित होटल ली मेरिडयन भी शाम के इस एक घंटे में अंधेरे में डूब जाएगा...और संदेश देगा कि कैसे बचाएं हम बिजली को. पता नहीं मेरी सोच कितनी सही है और कितनी गलत लेकिन ..मुझे नहीं लगता कि 365 दिनों में सिर्फ एक दिन में, एक बार मनाए जाने वाले इस एक घंटे में हम कुछ ऐसा कर पाएंगे जो लोगों को एकदम से जागऱुक कर देगा और लोग बिजली बचाने लगेगे. मुझे तो यही लगता है कि ये 'अर्थ आवर' वास्तव में सिर्फ एक संदेश है जिसे आज भर के लिए अखबारो की सुर्खियों में जगह मिल गई और शाम होते होते शायद मोदी से निपट चुके न्यूज चैनल्स की ब्रेकिंग न्यूज में ये तड़का लगा दे या हम जैसे रिपोर्टर्स के लाइव और वाकथ्रू का हिस्सा बन जाए. यहां मै गल्ती से एक शब्द प्रयोग कर गई 'मनाएंगे'..या सच कहें तो सच्चाई यही है कि इस एक घंटे के दौरान हमारा ध्यान इसके संदेश पर कम और इसे 'मनाने' पर ज्यादा होगा कि आखिर ये 'अर्थ आवर' कितना सफल हुआ, हम ये नहीं सोचेंगे कि हमने कितनी बिजली बचाई बल्कि शायद उस दौरान हमारा ध्यान इस ओर ज्यादा होगा कि 9.30 कब होगा.कई सवाल हैं मेरे जेहन में...
2007 में जबसे ये शुरु हुआ कितनी बिजली बचाई हमने, वास्तव में ये सिर्फ एक त्योहार जैसा है या एक जागरुकता अभियान या मुहिम, क्योंकि मुहिम एक या दो दिन की तो नहीं हो सकती..?
अभी कुछ दिन पहले (MONDAY) ही वाटर डे निकल गया........लेकिन हममें से कितनों को पता लगा, या कितनो ने पानी बचाने के लिए कुछ सोचा?
लेकिन मैने सोचा...मैने सोचा कि कम से कम अपने स्तर पर जितना पानी बचा सकती हू मुझे बचाना चाहिए..और उम्मीद करती हूं खुद से कि आज का ये अर्थ आवर मुझे संदेश से अधिक भी कुछ दे जाए? वैसे नोएडा में रहने के चलते मुझे ज्यादा चिंता करने की ज़ऱुरत ही नही क्योंकि यहां तो बिजली और पानी का संऱक्षण खुद ब खुद हो जाता है.

Saturday, March 27, 2010

पारदर्शिता का क्या है पैमाना...

20-20 इंडियन क्रिकेट विश्व कप के लिए आज टीम का चुनाव हो गया, लेकिन सवाल फिर वहीं पर आकर खड़ा हो गया कि क्या ये चुनाव पारदर्शी है? क्या हम कह सकते हैं कि जिन खिलाड़ियों का चुनाव किया गया वो उनसे बेहतर थे जो लगातार आईपीएल में अच्छा परफार्मेंस दिखाते आ रहे हैं. नाम पहले से तय थे या फिर जिनमें से चुनाव होना था वो तय था ये तो चयनकर्ता ही बता सकते हैं लेकिन इस चुनाव ने बहुतों को निराश किया है. आश्चर्य की बात तो ये रही कि सौरभ तिवारी और मनीष पांडेय के प्रदर्शन को भी चयनकर्ताओं ने चयन का आधार नहीं माना. घरेलू क्रिकेट के प्रदर्शन को ही केवल आधार मानना मुझे नहीं लगता कि एक सही फैसला है . आईपीएल के प्रदर्शन को भी चयन में जगह दी जानी चाहिए क्योंकि आईपीएल के क्रिकेट में हर देश के खिलाड़ी शामिल होते है और 20-20 का ये चयन किसी ट्रायंगुलर सीरीज़ के लिए नहीं हुआ बल्कि ये चयन उस रोमांच में शामिल होने के लिए हुआ है जिसे 20-20 विश्व कप कहते हैं.....जहां आईपीएल की ही तरह हर देश के खिलाड़ी शामिल होते हैं.