आज किसी ने सवाल किया, ’आपको नहीं लगता कि ब्लाग में भी अब लोग प्रभावित होकर लिखते हैं वो उतना निष्पक्ष नहीं रह गया’...अचानक एक के बाद एक कई जवाबों की दिमाग़ में जैसे होड़ सी मच गई, कौन सा पहले देती इस उधेड़बुन में सही जवाब न दे पाई.
शायद मास काम में एडमिशन ही लिया था तभी अरुन आनंद सर की क्लास में जाना था ‘ब्लाग’ के बारे में. करीब साढ़े तीन साल पुरानी बात होगी. सर ने बताया था ‘ब्लाग’ यानि अपनी एक निजी डायरी. फर्क इतना कि पहले ये पन्नों पर लिखी जाती थी अब कम्प्यूटर पर, जिसे कोई भी पढ़ सकता है और प्रतिक्रया भी दे सकता है...हांलाकि मैथ्स और कंम्प्यूटर की स्टूडेंट रही हूं मै, लेकिन उस समय कुछ खास समझ नहीं आया था, लेकिन अब आता है...और अब इतना आता है कि पेट में पच ही नहीं पाता..और इस ‘अनकही’ पर उलट जाता है
‘ब्लाग’ यानि ‘निजी डायरी’....कम्पेयर करने बैठूं तो बहुत कुछ मिलता तो बहुत कुछ बदला भी नज़र आता है... हां बहुत कुछ बदला जैसे; पहले ‘कलम के सिपाही’ थे हम, और अब ‘की-बोर्ड’ के हो गए..पहले डायरी कपड़ों की सौ परतों में छुपाकर अलमारी के किसी कोने में रखी जाती थी और उस डायरी के पन्नो का रंग बिना खुले ही सफेद से पीला हो जाता था और वो गुलाब का फूल लाल से भूरा और फिर काला, लेकिन अब इस ब्लाग नुमा डायरी की तो हर पोस्ट खुलेआम प्रतिक्रयाओं की बाट जोहती है...पहले दो जिस्म प्यार करते करते कब एक जान बन जाते थे इसका पता या तो उनकी शादी से लगता था या फिर कभी नहीं लगता था, , लेकिन अब तो जंग इस बात की होती है कि ‘मेरी वाली अच्छी या तेरी वाली’, बिल्कुल वैसे जैसे मेरी ‘अनकही’ अच्छी या तेरी कही ‘बेहतर’.
कोई माने या न माने लेकिन अपने दिल का सच तो यही है कि ये ब्लाग अब ‘डायरी’ की उपमा से निकलकर कोई ‘डायरेक्टरी’ बन चुका है, जहां संबंधो को हरा रखने के लिए 10 डिजिट का नंबर दबाने की भी ज़रुरत नहीं और न हि नए रिश्ते तलाशने के लिए किसी क्लासिफाइड ऐड पर पैसे खर्च करने की..इस महंगाई के ज़माने में भी....... यहां सब कुछ मुफ्त में उपलब्ध है बिल्कुल मुफ्त, मुफ्त की वाहवाही, मुफ्त की आलोचना, मुफ्त के सुझाव और मुफ्त के रिश्ते भी......पढ़ने का अधिकार भले ही कपिल सिब्बल आजादी के 63 साल बाद देने जा रहें है लेकिन लिखने का अधिकार तो ब्लाग महाराज ने दसियों साल पहले ही दे दिया....
सोच क्या रहे हैं प्रतिक्रया नहीं देंगे...आज आप देंगे तो कल हम देंगे..
कमेंट तो हम जरूर देंगे, लेकिन कुछ सवाल मन में उठते हैं ..........
ReplyDeleteजैसे ---- "जहां संबंधो को हरा रखने के लिए 10 डिजिट का नंबर दबाने की भी ज़रुरत नहीं और न हि नए रिश्ते तलाशने के लिए किसी क्लासिफाइड ऐड पर पैसे खर्च करने की.." क्या संकेत दे रहा है .
सब कुछ सच है फिर भी अजीब लगता है .....................
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ReplyDeleteअगर प्रतिक्रिया का बदला सिर्फ प्रतिक्रिया से देना हो तो गलत बात है ,और किसी तरह से देनाहोतो आप भले ही मेरे यहाँ चले आना ,वैसे मेरे यहाँ आपके काम का बहुत कुछ मिल सकता है ,एकदम मुफ्त में
ReplyDeletepratikriya to bahut di hain, lekin aaj soch raha hoon...aapne kitni sahaj baat kahi hai....
ReplyDeleteaapki is soch ke liye badhai...
mere blog http://i555.blogspot.com par is baar
tum yahin ho shayad......
jaroor dekhein...
haan pratikriya jaroor dijiyega.....
i dont know wt to say but ya one thing i wanna say that every line of your wrightup is so intresting that it insisted me to read the next one cos of that i started ang read it ful and want to read more with a promice to try to read it daily
ReplyDeleteBlog ke madhyam se world level par ham apni baat aaj pahuncha paa rahe hai... Achhi baat ho ya buri apne-apne star se sabhi ki pratikriya hoti hai....... sab judhte jaate hai.. apne man ki baat easily sabhi tak pahunch jaate hai...... Apne andar dam ghutte shabd kam se kam baahar to nikalte hai...
ReplyDeletebahut kuch hai isme....
muft hai lekin samay dena kya kam hai......
Blog jagat kee saftalta ke liye aapko Bahut shubhkamnayne.
हा हा हा, हम तो इस ब्लाग को पढ के बिना टिपियाये खिसकने वाले थे पर शुक्ला मैडम आपने सोच क्या रहे हैं प्रतिक्रया नहीं देंगे...आज आप देंगे तो कल हम देंगे.. लिखा है तो टिपियाना ही पडा.
ReplyDeleteब्लाग आज भी निजी डायरी ही है पर हमने इसे सार्वजनिक बना दिया इसलिये सर्वजनपसंदाय लिखना पड रहा है. अमिताभ जैसे लोगों नें आज भी इसे अपने वास्तविक स्वरूप में स्वीकारा है.
हम कल कोई पोस्ट नहीं प्रकाशित करने वाले .....
जी संजीव जी इसी लाइन का तो कमाल है....जिसने आपको तो नहीं लेकिन बहुतो को कमेंट देने से रोक दिया....मै जानती थी कि इसका असर कुछ ऐसा ही होगा....लेकिन हम सबके मन का सच कहीं न कही ये हैं मुझे इसमे कुछ गलत भी नही लगता इसलिए इसे स्वीकारने में भी कोई परहेज नहीं..
ReplyDeletevery poignant write, i must say which raise a thunder-storm in my mind. why we write blog? is it expressing us in the right way? before writing do we look for pros and cons? what is it's impact on the society?...and many more...these days for 'celebrities' and 'public figures' blog become a medium to increase their TRP!! if they talk about 100 shits then only 10 are worth reading! but killing self-conscience for creepy things is not like 'human'!!
ReplyDeleteअनकही जी आपकी इस साफगोई का हम तहे-दिल से इस्तकबाल करतें हैं। दरअसल बात उन दिनो की है जब जार्ज डब्लू बुश के निरंकुश शासन काल में बिना बात इराक में जाकर अंकल सैम बैठ गये थे। उन्ही दिनो के दौरान यूएस आर्मी के एक सैनिक ने अकेलापन और बोरडम दूर करने के लिये अपने दिल के गुबार को कीबोर्ड के माध्यम से कप्यूंटर पर उडेल दिया और फिर उसे विश्वव्यापी मकड़जाल i.e worldwide web पर डाल दिया, उस सिपाही के मन की बात को लोगों ने पढ़ा और उस पर प्रतिक्रिया भी दी और ऐसे जाने अनजाने ब्लॉग महाराज की पैदाइश हुई...............तो बोलिये श्री ब्लॉग महराज की................जय
ReplyDelete।। इति ब्लॉग जन्म कथा ।।
बहुत सटीक बात लिखी आपने .......ये सवाल कई लोंगों के मुह से अक्सर निकलते है ''हम ब्लॉग क्यूँ लिखते है '' .....आपने अपने इस लेख के द्वारा .......सही जवाब दिया .
ReplyDeleteआपके ब्लॉग followers की लिस्ट नज़र नहीं आ रहा है . हो सके तो उसे लगा दीजिए जिससे ......आपके पोस्ट की अपडेट आसानी से पता चल सके ....जो भी aapke blog followe किये रहेंगे . .......बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteaapke blog ka naam hamein yahan kheech laya. mere blog ka naam hai 'ankahi baatein'. accha likha hai aapne. khaskar aapki soch ka canvas bahut aseemit hai.
ReplyDelete...आपके सहारे ब्लॉग के बारे में कुछ और जाना !!
ReplyDelete"यकीनन ब्लोग बेहद धारदार हथियार है विचारों कों फैलाने का ये अब निजी मामला नहीं रहा..."
ReplyDeletedhansu hai.
ReplyDeleteapan to aise hi khisak rahe the lekin aapki aakhiri line ne rok diya ki nai boss aise kaise jaoge bina comment kiye.. ;)
बहुत खूब!
ReplyDeleteaaapki pratikriyaon ka intzaar hai....
ReplyDeleteतुम मुझे मिलीं....
and
LIFE.......
par....
namaskaar
ReplyDeleteblog aur daayarii.
kalam aur keyboard.
chalati rahe jindgi.
namaskaar
kitni sahaj baat kahi hai....
ReplyDeleteसब कुछ सच है फिर भी अजीब लगता है ........
ReplyDeleteBlog apni marketing ka madhyam ban gaya hai aajka.Anand sir ko definition change karni padegi.
ReplyDeletePashyanti.. vishay bahut accha chuna aur is per chitran bhi behtareen hai.... kai linon ko kai baar padhne ka man kar raha hai ... accha laga ...
ReplyDelete"सब कुछ मुफ्त में उपलब्ध है बिल्कुल मुफ्त, मुफ्त की वाहवाही, मुफ्त की आलोचना, मुफ्त के सुझाव और मुफ्त के रिश्ते भी."
ReplyDeleteफिलहाल आपको क्या चाहिए? :)