आजकल न जाने क्यों अक्सर ये ख्याल आता है कि काश! किताब के पन्नों की तरह बीती जिंदगी के कुछ पल भी मै पलट पाती, आक्सफोर्ड की कोई डिक्शनरी जिंदगी के उन पन्नों, उन रिश्तों को समझने के लिए भी मेरे साथ होती जिसकी अनुपल्बधता में कुछ पैराग्राफ बिना समझे ही मै आगे बढ़ गई और जिंदगी एक किताब बन गई....काश! ईश्वर ये मौका देता कि बीते वक्त के पन्नो को संभाल कर उन पर फिर से मनचाही जिल्द मै बंधवा पाती और जिंदगी कभी प्यार से बुलाकर कहती कि जी लो खुद से भी प्यारे उन रिश्तों को जो बीच मंझधार में अधूरे रह गए...... इसी काश! काश! की इस कश्मकश में एक सवाल मेरे जेहन में हमेशा दौड़ता है कि क्यों........... हर साल बदलते कोर्स को समझकर तो हम एक्जाम में अच्छे नंबरों से पास हो जाते हैं लेकिन बचपन से सुनते आ रहे गीता के श्लोकों को नही समझ पाते और जिंदगी के इम्तिहान में फेल हो जाते हैं.....?
मै अक्सर सोचती थी कि दुनिया का सबसे निस्वार्थ प्रेम क्या होता है लेकिन आज मुझे इसका जवाब मिल गया, हर रिश्ते में कहीं न कहीं कुछ पाने कुछ खोने का स्वार्थ होता है, किसी रिश्ते में लोग क्या कहेंगे ये ज्यादा मायने रखता है तो किसी रिश्ते का खुमार अपने मां बाप को ही बेगाना बना देता है लेकिन छड़ी के सहारे चलने वाले वो झुर्रीदार चेहरे जिनकी इच्छाएं उम्र के उस पड़ाव पर लगभग खत्म ही हो गई होती हैं...हम पर निस्वार्थ प्यार लुटाते हैं लेकिन हम समझ नहीं पाते,.....और जब समझ आता है तो बहुत देर हो चुकी होती है, इतनी देर कि जिंदगी फिर सुबह के भूले को शाम को घर आने का मौका नहीं देती.........और फिर हमारे पास आसमान के तारों में उन्हे खोजते-खोजते ‘काश’ ‘काश’ दुहराने के सिवा कोई चारा नहीं बचता..... मेरी दादी को भी कुछ ऐसे ही सिर उठाकर रात के अंधेरे में तारों में खोजती हूं मै लेकिन वो कभी नहीं मिलतीं.....बस उनकी हर याद उनकी हर बात मुझे झकजोर कर रख देती है ऐसा लगता है कि कौन करेगा मुझसे कभी इतना प्यार....... दिल में अक्सर ये टीस उठती है कि काश! दादी फिर से मेरे पास आ जाती, फिर से इस बार जब मै घर से आती तो अपने धीमे धीमे कदमो को तेज करती हुई वो दरवाजे पर दौड़तीँ और अपनी आंखो की नमी में ये सवाल लिए कि बिटिया फिर कब आओगी वो मेरे हाथ को चूमकर मुझे मीठी दे जाती....
काश! काश! काश!…सिर्फ काश, जिसका कोई जवाब नहीं बिल्कुल वैसे जैसे सपनों का कोई अंत नहीं और इसी अंतहीन सफर को आगे बढाती हुई इन खुली आंखो में एक और सपना लिए मै सोने जा रही हूं कि .....काश! जिंदगी में भी ‘ctrl+z’ और ‘shift+delete’ का कोई बटन होता..........!!!
यादों के झरोके से .......आपने भावों को बहुत अच्छे से व्यक्त किया है ........और जिस दिन ‘ctrl+z’ और‘shift+delete’ का बटन जिंदगी में आजायेगा .....उस दिन ज़िन्दगी कि मायने ही बदल जायेंगे .
ReplyDeletea thoughtfull note ....achhi khuraak di hai aaj aapne sochne vicharne ke liye...keep writing..
ReplyDeleteझुर्रियो वाले चेहरे हम पर सच्चा प्यार लुटाते है.. इस बात को पकड़ के रख लिया है..
ReplyDeleteशायद आप सच कह रही हैं, इस काश को काश हम समझ पाते.........
ReplyDeletelook forward....jo beet gaya so beet gaya !
ReplyDeletemy god !!!!
ReplyDeletei don't know what should i say...
a great topic really to think about..and ur impressive writing is as good as always.....
CTRL+Z ka to pata nahi, but i wish i had a DELETE button in my life...
lot's of things which needs to be deleted forever.....
nice to read you....
regards...
shekhar..
aur haan mere blog par v jaroor aana.....
a poem is waiting for your comment....
The beauty of past is in memories. अगर बीता हुआ कल प्यारा था तो हम उसे फिर से जी नहीं सकते और अगर बुरा था तो हम उसे भुला तो सकते है, लेकिन अपने जीवन से निकाल नहीं सकते। वो जो भी था अच्छा या सच्चा, हमारा था पर है नहीं..। हां हम है आज में कल (बीते हुए) के कौतूहल के काले अंधेरे में कल (आने वाले) की रोशनी तलाशते..। कुछ के दिन बदल गये, कुछ की राय बदल..आज कुछ जानं नहीं पाते और कुछ मान नहीं पाते। काश कल होता ही नहीं...।
ReplyDeletemohtarma, khwahishein, chahtein aur saone.........
ReplyDeletekaash ve sav ‘ctrl+z’ और‘shift+delete’ me smahit ho jate....
to baat hi kya thi.....
life me agar assa hota to maza aa jata dear
ReplyDeleteshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
acha hi hai na ye button zindagi me nahi hai...zindagi ki sarthakta khatm ho jati...waise appki baaton se software engg ki boo aati hai...:D
ReplyDeleteकाश! जिंदगी में भी ‘ctrl+z’ और ‘shift+delete’ का कोई बटन होता..........!!!
ReplyDeleteकाश .... पर जब ये बटन नहीं हैं तब इतना अनर्गल होता है तो अगर होता तो क्या होता ............
एक अदद ’सेव’ बटन की भी दरकार है जिससे मै सारी खुशिया सेव कर सकू.. बाकी इस ज़िन्दगी मे लोगो ने मेले लगाये और फ़िर न जाने कहा चले गये...
ReplyDeleteलिखा हुआ पढकर बहुत अच्छा लगा.. आपकी ख्वाहिशे भी काफ़ी अपनी अपनी सी...
काश! जिंदगी में भी ‘ctrl+z’ और ‘shift+delete’ का कोई बटन होता..........!!
ReplyDeleteहाय! काश!
jindgi mein बहुत सी बातें अनकही ही रह जाती हैं....
ReplyDeleteप्रकृति ने यदि हमारी जिंदगी में ctl z का बटन नहीं दिया है तो बहुत सोच समझकर.....वरना न जाने कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ता हम सभी को! यही काफी है कि सालों की यादों को सहेज कर रखने के लिए अनलिमिटेड मेमोरी स्पेस दिया है!
ReplyDeleteकल्पना अच्छी , बधाई ।
ReplyDeletePast ko delete kar dijiye, Control ki aawashyakta nahi...
ReplyDeleteएक उम्र में आकर ये सारी मांये जीरोक्स कोपी सी हो जाती है ..... सारी दादिया ओर नानिया भी ....वो कुछ नहीं चाहती बस चाहती है उनके पास बैठे रहो....
ReplyDelete"काश! जिंदगी में भी ‘ctrl+z’ और ‘shift+delete’ का कोई बटन होता..........!!!" अद्भुत सोच - हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteकाश! ऐसा होता.....
ReplyDeleteहमने ये कल्पना काफी पहले की थी........और अपने ब्लॉग पर चंद पंक्तिया लिखी भी थी इसी टॉपिक के अन्तर्गत........खैर मेरी उस सोच की प्राण प्रतिष्ठा के लिये आपको खुब-खुब साधुवाद.........
ReplyDeletekaash ctrl+s bhi hota to zindagi ke kuch khoobsurat lamhon ko hamesha ke liye kahin kaid kar leta...
ReplyDeleteaapko padhne ka mann kiy ato dubaara chala aaya....
shekhar
http://i555.blogspot.com/
sach kaha hai aapne..... aisa agar ho jata to kya baat hoti. nice post............
ReplyDeletekaafi dinon se aapko nahi padha aur na hi aapke darshan huye...
ReplyDeletemeri bhi 2 kavtayein aapki ke bina chali gayinn....
umeed hai aapke jald hi darshan honge..
http://i555.blogspot.com/
ek pal khushi agar man lo to saary khushi har pal hai
ReplyDeleteबहुत अच्छे ।
ReplyDeleteसिफ़ारिश की जाएगी ।
my god !!!!
ReplyDeletei don't know what should i say...
zindagi mein Ctrl + Z to nahi hai par us jaise kuch hai ... kahin galati ho jaye aur agar hum sachhe dil se muskurakar "Sorryy" bol payein, bina jhijhke bina sharmaye...to yeh bhi kuch had tak Ctrl + Z ka kaam kar jata hai ...
ReplyDeleteye meri samajh hai .... ho sakta hai main galat hu par....
pashyanti ur blog is really nice full of creative thougts n also contain some bitter truth............ i would like to appreciate ur effort..........concern 2 ur age u r very mature............keep writing coz u r very good in ur way n i really lie ur blog so hope u'll always bring such a intresting topic 4 us...............
ReplyDeleteAapki soch kaafi achhi hai lekin agar jindagi me "ctrl+z" aur "shift+delete" hote to sochiye in bhavnao ki kya keemat hoti aaj ye "kaash" shabd hi hume us baat ka ehasaas karata jo humne past me nhi kiya aur aage badne k liye ek naya jazwa de jaata hai............
ReplyDeletegood keep it up......
ReplyDeleteवह ! मै क्या बात कही है आपने काश ज़िन्दगी में ctrl+z’ और ‘shift+delete’ का कोई बटन होता तो मजे ही आ जाते ,मैंम आप सच कहे रही है लेकिन ये तो बस काश है और काश ही बनकर रहेगा आजकल लोग तो बस ये ही सोचते है काश ये होता ज़िन्दगी में काश वो होता वैसे जो आप बता रही है ये हो जाता तो ज़िन्दगी का रुख ही बदल जाता इतनी अच्छी बात बताने के लिए धन्यबाद मैंम....!!!$$$!!!
ReplyDeleteits my pleasure 2 read your blog mam...
ReplyDeletem wid u mam...
i wish,
zindagi mai ctrl+z aur shift+delete hota..
aaj zindagi kuch aur hoti... !
mam this is one of my favourite blog which u have written......a very good feeling...but mera manna hai
ReplyDeleteजो मिल गया उसी को मुक्कदर समझ लिया
जो खो गया उसको में भूलता चला गया
सच में ज़िन्दगी में कुछ पल होते है जिन्हें बार बार जीने की कसक मन में उठती है फिर भी पुरानी सुनहरी यादो को सहेजकर और कड़वे अनुभवों से सीखकर हमे आगे की और देखना चाहिए और हम भी यही कामना करते है की आप भी इन सब से सीखकर अपनी ज़िन्दगी को सवारें
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