मौसमी प्रतिकूलता पथभ्रष्ट करने को तुली हैं, किंतु दूजी राह चलने की कभी मैने न मानी अऩकही मेरी कहानी.................
एक तुम्ही आधार सद्गगुरु
Sunday, April 4, 2010
सेल सेल सेल... सानिया-शोएब की शादी, जल्दी 'देखिए' मौका हाथ से न छूट जाए
पिछले दिनो हर जगह हर कहीं हर न्यूज चैनल पर सिर्फ और सिर्फ एक ही नाम था..अमिताभ, अमिताभ और बस अमिताभ..अमिताभ ने ब्लाग पर क्या लिखा, अभिषेक ने ट्विटर पर क्या लिखा..और बाप-बेटे पर सामना ने क्या लिखा बस यही खबरें थी..लेकिन अचानक 'बिग बी' इस 'बिग बाज़ार' से गायब हो गए....बिल्कुल वैसे जैसे बाजार की 'सेल सेल सेल'......का वक्त खत्म हो गया और नए उत्पाद ने पुराने को रिप्लेस कर दिया. आजकल का नया उत्पाद है 'सानिया-शोएब की शादी'...लेकिन इस बाजार और परंपरागत बाजार में थोड़ा सा फर्क है और वो ये कि परंपरागत बाजार में नया उत्पाद दुकान में जगह लेता है और यहां तो नया उत्पाद पूरी दुकान ही खरीद लेता है...यहां तो आपको अमिताभ इन दिनो पिछली शेल्फ से भी झांकते न मिलेंगे, इस बिग बाजार में आपके प्यारे बिग बी गल्ती से भी प्राइम टाइम तो क्या दोपहर की सास-बहू में भी मिल जाएं तो बताइगा क्योकि वहां भी सानिया ने उन पर बाजी मार रखी है. वहां भी आपको यही बताया जा रहा होगा कि सानिया की ड्रेस डिसाइनर ने इस बार क्या तैयारियां की है, सोहराब के दिल में क्या चल रहा है जब शोएब-सानिया नाच रहे हैं....
सानिया की शादी की बात क्या हुई ऐसा लगा जैसे मैनीक्वीन पर लगे 'सफारी सूट' (अमिताभ) को अचानक 'चूड़ीदार' ने रिप्लेस कर दिया..अचानक सानिया का कद बिग बी से ऊंचा हो गया और हम अमिताभ को भूल गए.. पहले हम किसे याद कर रहे थे ये तो मुझे भी दिमाग पर जोर देकर भी याद नही आ रहा...... हो सकता है सब कुछ ठीक हो गया हो, शायद कांग्रेस और अमिताभ की दोस्ती हो गई हो, अशोक चव्हाण को अब बिग बी के साथ मंच शेयर करने में कोई परहेज नहीं रहा हो और शायद जूनियर बच्चन से भी शीला आंटी ने माफी मांग ली हो..जिस मिशन को लेकर पिछले दिनो ये पत्रकारिता चल रही थी वो पूरा हो गया हो इसीलए अब एक नया मिशन है शोएब की कथित पहली पत्नी आयशा को इंसाफ दिलवाना, तभी तो हमारे साथी पत्रकार भूख और प्यास को तिलांजलि देकर दो दिन से लगातार हैदराबाद में आयशा के नहीं बल्कि सानिया के घर के आगे कुछ इस तत्परता से रिपोर्टिंग कर रहे हैं जिसके आगे 26-11 के हमले का सीधा प्रसारण भी फीका पड़ जाए...
लेकिन वारी किस्मत चेन्नई सुपरकिंग्स की, 246 रन मिलाकर भी कुछ न मिला, और हाय रे बेचारे मुरली विजय एक 'स्पेशल बुलेटिन' तक न बना, अरे स्पोर्ट्स बुलेटिन में जगह तो हारने पर भी मिल जाती है,...काश 56 गेंदों में 127 रन की ये पारी 4 दिन पहले खेली होती तो एक क्या कई बुलेटिन आपके नाम हो जाते और संडे को हमेशा की तरह होने वाले खबरों के अकाल में शाम तक आप ही छाए रहते, लेकिन आपकी टाइमिंग मैदान पर तो ठीक थी लेकिन स्क्रीन पर कुछ गड़बड़ हो गई, आपने भी वक्त चुना तो ऐसा जब आपकी एक छोटी सी तस्वीर को भी अधिकतर अखबारों मे भी पहले पन्ने पर जगह न मिली और आपका 127 रन का ये पहाड़ भी सानिया-शोएब की शादी से आए इस तूफान में भरभरा के पड़ा....चलिए कोई नहीं फिर से कोशिश कीजिएगा...आजकल तो हर दुकान पर सेल सिर्फ और सिर्फ सानिया की लगी हुई है, ......
अरे अरे आप लोग अभी तक मेरी ये पोस्ट क्यों पढ रहे है जाइए झट से अपना रिमोट उठाइए और इस 'बिग बाजार' में घूम आइए..कहीं मौका हाथ से न छूट जाए.
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यार जितना हम लोगो को लगता है कि तुम्हे कभी समझ ही नहीं पाए, क्या दिखती हो तुम एकदम माडर्न आज के जमाने की लड़की...लेकिन इस आज के जमाने की लड़की की सोच की परिधि इतनी असीमित है..पता ही न था..
ReplyDeleteशब्दों का जवाब नहीं...''परंपरागत बाजार में थोड़ा सा फर्क है और वो ये कि परंपरागत बाजार में नया उत्पाद दुकान में जगह लेता है और यहां तो नया उत्पाद पूरी दुकान ही खरीद लेता है...''
अभी ये ऑफ़र लम्बा चलेगा....अभी शादी होगी और फिर न जाने क्या-क्या....पूरा फैमली ऑफर है
ReplyDeleteSUPERB AWESOME ITS UR OWN CREATIVITY
ReplyDeleteI agree nitish ji ye ladki bachpan se hi creative thi..aur ho gai hai
ReplyDeleteअद्भुत हैं मैडम आप, जिस डाल पर बैठी हैं उसी को काट रही हैं, मीडिया में ही रहती है और उस पर इतना तीखा अंदाज.....आगे नौकरी नही करनी है क्या आपको....कौन पूछेगा आपको अगर ये अंदाज रहे....एनडीटीवी ने तो वैसे ही इतनो को निकाल दिया तो वहां तो चांस मुश्किल और बाकी हर जगह एक ही हाल है...
ReplyDeletesach me adbhut lekh....
ReplyDeletewakayi me aapko to maan gaye.......
u r d best....
bahut badhiya tarike se aapne .......media ki khichai ki hai ......ab news channel ka yahi haal hai .
ReplyDeleteअच्छा लगा यहां आना। कहना इतना ही है कि जिस तरह सच का होना सच है, उसी तरह झूठ का होना भी सच है। ख़बरें वहां भी होती हैं, जहां खुलासे नहीं होते...
ReplyDeleteThank you for dropping by. Good satire ms Ankahi. Very well knitted with appropriate words. Koi bazaar chale na chale, par aap kai bloggers ki TRP ki dukan jaroor band karane ki 'firaaq' mein hain madam.
ReplyDeletewhat about who those dont see news channels
ReplyDeleteReally I appreciated from the Bottom of my Heart..
ReplyDeleteतुम्हारी ब्लाग क्यों लिखते है वाली पोस्ट बहुत पसंद आई लेकिन जवाब इसका भी नहीं, वो विषय कैसे दिमाग में आया और यहां सानिया की सेल लगा दी........अच्छा बहुत अच्छा कमेंट है...
ReplyDeleteआप कुछ भी कहिए, पर हम तो यही कहेंगे कि आजकल टीवी देखने में मज़ा तो आ रहा है । बड़ा बोर हो रहे थे ।
ReplyDeleteसर्कार तो न्यूज देखने वालो से एंटरटेंटमेंट टैक्स वसूलने की प्लानिंग कर रही है..
ReplyDeleteवाह मैडम जी समझ नहीं आता की आप लोग मीडिया में रह कर मीडिया की खिचाई क्यों कर रहे है. ये तो मुलायम और मायावती को समर्थन जैंसा है की सर्कार भी बचाओ और बुराई भी करो. पर अछा लगता है की आप जैंसे पत्रकार है. लेकिन बुराई आप में नहीं हम में है क्यों की न्यूज़ को trp तो हम ही देते है, लेकिन मैडम न्यूज़ नहीं है ऐंसा नहीं है लेकिन वो देखना कौन चाहता है सवाल यही है...............?
ReplyDeletemujhe yeh bahut achhi lagi..
ReplyDeletedobara padhne chala aaya.....
whispers from a silent heart..... mein is baar तुम मुझे मिलीं....
jaroor padhein...
सानिया की सेल लगी है. 76 जवानों की अर्थियां सजी हैं.
ReplyDeleteपहले शहीदों की चिताओं को देख कर निकलते थे आँसू.
अब सानिया पोछ रही हैं आँखों की नमी
हाथों से रिमोट फिसलता ही जाता है
बस पूछिए मत कितना मजा आता है.
टीआरपी टीआरपी मोरा बावरा मन चिल्लाए
waiting for your next post and comments on my blog... :)
ReplyDeletezabardast............... :) aaj ki media ke kam karne ki shaili ..aur usi ke peeche bhagne wale hum sab log...in sab par aapne achha vyang kiya hai .....nice post
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