जितना टीवी देखो चैनल्स की टीआरपी उतनी बढती है, सीरियल्स की उतनी कमाई होती है, नए कलाकार रातोंरात स्टार बन जाते हैं और हमारी किस्मत के सितारे आसमान से जमीन पर .........सानिया मिर्जा की शादी में पूरा दिन बर्बाद किया तो क्या मिला या धोनी की शादी की तस्वीरें देखने के लिए टीवी से चिपके रहे तो कौन सी नौकरी लग गई...नच के दिखा में लड़कियां जीती तो देश भर की लड़कियो को क्या मिल गया या फिर आइफा एवार्ड्स में हमने रात बर्बाद कर दी तो क्या उसके एवज़ में कोई पुरस्कार मिल गया..... हम तो ये भी नहीं सोचते कि जिन रिश्तों के टूटने बिखरने पर हम साथ में आंसू बहाते हैं वो पर्दे के पीछे उन आंसुओं के हिट होने का जश्न मनाते हैं...मैच में हुई जिस हार के बाद हम खाना भी नहीं खा पाते उन हारने वालों को तो उस हार का भी पैसा मिलता है ..........
मै अक्सर महसूस करती हूं कि जिस दिन मै टीवी नहीं देखती मुझे क्या फायदा होता है...कई पुराने दोस्तों से फोन पर बात, किताबों के पन्नों से कुछ न कुछ दिमाग में कैद, कम से कम पांच अखबारो की पढाई , कई ढेर सारी साइट्स सर्फिंग और अपने बारे में सोचने का मौका..उसके बाद भी वक्त बच जाता है....लोग अपने बच्चों से कहते हैं कि टीवी मत देखो लेकिन अगर टीवी न देखें तो करें क्या, क्या मनोरंजन का कोई साधन उसके विकल्प के तौर पर मौजूद है..क्या जिस तरह नए घर में जाते ही हम टीवी के लिए एक नया कोना तलाशते हैं वैसे ही जगह किताबों की शेल्फ के लिए ढूंढते हैं जवाब मै नहीं आप लोग देंगे....क्योंकि ये सवाल केवल हमारा ही नहीं है हमारी अगली पीढ़ी का भी है जो हमसे ये पूछती है कि टीवी नहीं तो और क्या....