Sunday, March 28, 2010

'अर्थ आवर'

हमेशा की तरह आज भी दिन की शुरुआत अखबारो के समंदर में गोता लगाने से ही हुई.....और हमेशा की ही तरह सभी अखबारों में कई खबरें कामन थीं..जैसे मोदी का एसआईटी पेशी मामला, आईपीएल में युसुफ पठान का कमाल, बाबरी मस्जिद विंध्वंस पर तत्कालीन आईपीएस अंजू गुप्ता के बयान ने कैसे बढ़ाई आडवाणी की मुश्किलें, और भी बहुत कुछ जो शायद अभी मुझे याद न आ रहा हो....लेकिन हां एक खबर बार बार मेरे दिमाग में क्लिक कर रही है कि आज शाम 8.30 से 9.30 तक कैसा होगा माहौल जब दुनिया के लगभग 90 देश मनाएंगे 'अर्थ आवर'...यानि ऊर्जा संरक्षण का संदेश देने की लगातार चौथे साल भी कोशिश की जायेगी. भारत में दिल्ली मुंबई जयपुर और बैंगलुरू के प्रमुख स्थान इस मुहिम में शामिल होंगे. दिल्ली का रिजर्व बैंक और उसी से थोड़ा सा ही दूर स्थित होटल ली मेरिडयन भी शाम के इस एक घंटे में अंधेरे में डूब जाएगा...और संदेश देगा कि कैसे बचाएं हम बिजली को. पता नहीं मेरी सोच कितनी सही है और कितनी गलत लेकिन ..मुझे नहीं लगता कि 365 दिनों में सिर्फ एक दिन में, एक बार मनाए जाने वाले इस एक घंटे में हम कुछ ऐसा कर पाएंगे जो लोगों को एकदम से जागऱुक कर देगा और लोग बिजली बचाने लगेगे. मुझे तो यही लगता है कि ये 'अर्थ आवर' वास्तव में सिर्फ एक संदेश है जिसे आज भर के लिए अखबारो की सुर्खियों में जगह मिल गई और शाम होते होते शायद मोदी से निपट चुके न्यूज चैनल्स की ब्रेकिंग न्यूज में ये तड़का लगा दे या हम जैसे रिपोर्टर्स के लाइव और वाकथ्रू का हिस्सा बन जाए. यहां मै गल्ती से एक शब्द प्रयोग कर गई 'मनाएंगे'..या सच कहें तो सच्चाई यही है कि इस एक घंटे के दौरान हमारा ध्यान इसके संदेश पर कम और इसे 'मनाने' पर ज्यादा होगा कि आखिर ये 'अर्थ आवर' कितना सफल हुआ, हम ये नहीं सोचेंगे कि हमने कितनी बिजली बचाई बल्कि शायद उस दौरान हमारा ध्यान इस ओर ज्यादा होगा कि 9.30 कब होगा.कई सवाल हैं मेरे जेहन में...
2007 में जबसे ये शुरु हुआ कितनी बिजली बचाई हमने, वास्तव में ये सिर्फ एक त्योहार जैसा है या एक जागरुकता अभियान या मुहिम, क्योंकि मुहिम एक या दो दिन की तो नहीं हो सकती..?
अभी कुछ दिन पहले (MONDAY) ही वाटर डे निकल गया........लेकिन हममें से कितनों को पता लगा, या कितनो ने पानी बचाने के लिए कुछ सोचा?
लेकिन मैने सोचा...मैने सोचा कि कम से कम अपने स्तर पर जितना पानी बचा सकती हू मुझे बचाना चाहिए..और उम्मीद करती हूं खुद से कि आज का ये अर्थ आवर मुझे संदेश से अधिक भी कुछ दे जाए? वैसे नोएडा में रहने के चलते मुझे ज्यादा चिंता करने की ज़ऱुरत ही नही क्योंकि यहां तो बिजली और पानी का संऱक्षण खुद ब खुद हो जाता है.

2 comments:

  1. nice post. check out my blog also.
    www.merikahee.blogspot.com

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  2. ha..ha...ha...ha...isi tarah din tay kiye jaate hain...aur isi tarah ham sab milkar dino kaa bedapar bhi kar dete hain...parinaam...??balle-balle....teri bhi balle...meri bhi balle...!!

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