जब दिलो-दिमाग में उधेड़बुन चलती है
जब कई सवालों की कसक सी उठती है
जब घर की तो कभी अपने शहर की याद आती है
जब बचपन की यादें रूला जाती हैं
जब मां के सीने की तड़प उठती है
तो दिल करता है कुछ लिखूं.............
जब खुशी छुपाए से नहीं छुपती है
सुनने वालों की जब कमी सी लगती है
जब तन्हाई दिल को चीर जाती है
आंखें यूं ही नम हो जाती हैं
जब और रोने को जी चाहता है
तो दिल करता है कुछ लिखूं.............
जब अपने पराए बन जाते हैं
अविश्वास आसमान से ढाए जाते हैं
जब दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है
जब आंसुओं का बादल फट पड़ता है
जब खुद को भुलाने को जी चाहता है
तो दिल करता है कुछ लिखूं.........
जब खुशी छुपाए से नहीं छुपती है
ReplyDeleteसुनने वालों की जब कमी सी लगती है
जब तन्हाई दिल को चीर जाती है
आंखें यूं ही नम हो जाती हैं
जब और रोने को जी चाहता है
तो दिल करता है कुछ लिखूं.............
लिखते रहिये , मैं पढ़ती रहूंगी
nice thinking
ReplyDeleteमन के द्वंद्व को सुंदरता से बांधा है ..
ReplyDeleteतन्हाई से निकली कविता है, ज़ज्बात के अलफ़ाज़ है, तभी तो अनकही है .
ReplyDeleteतन्हाई से निकली कविता है, ज़ज्बात के अलफ़ाज़ है, तभी तो अनकही है .
ReplyDeletewow mam vry nyc poem....
ReplyDeleteकविता खुद के लिये या दुसरो के लिये नही होती...खुद के लिये और उद्सरो के लीये की गई कवित होती है केवल मनोरंजन...जो दिल से निकले..अहसासो को झकझोरे...जिंदगी के उन गुमसुम पलो का...उन अनसुलझे यादो की दास्तान है कविता...मनोरंजन मात्र नही है कविता..वह तो है मनस्पंदन...जरुरी नही की कॊई...सराहे...कॊई तारीफ करे...नुमाईश तो केवल होती है बाजारो मे...मन के स्पंदनो की नुमाईश नही होती...नाही तिजारत होती है दिल के गुबारो की...बस होता है एक अहसास एक पुकार दिल की दिल से निकली एक आह..को एक आत्मसंतुष्ठी का थाह देने की...कोशिश है ये कविता...
ReplyDeleteमन के भावनाओं को बड़ी सुंदरता से अपने कविता में उकेरा है....सुंदर रचना
ReplyDeleteपश्यंती जी,..आपका फालोवर से हूँ,आप भी बने मुझे खुशी होगी,..
मेरे पोस्ट पर आइये स्वागत है .....
NEW POST...फिर से आई होली...
जब कभी बातों-बातों में आंख भर आती है,
ReplyDeleteजब बीते दिनों की याद दिल को सला जाती है,
तब जी चाहता है कुछ लिखूं ...
जब बातों-बातों में आंख भर आती है,
ReplyDeleteजब अनकही बातें दिल को सला जाती हैं,
तो दिल चाहता हूं कुछ लिखू ...
आप भी हमारे ब्लॉग पर आएं www.apnibat.wordpress.com और www.vimarshmedia.blogspot.com
जब बातों-बातों में आंख भर आती है,
ReplyDeleteजब अनकही बातें दिल को सला जाती हैं,
तो दिल चाहता हूं कुछ लिखू ...
आप भी हमारे ब्लॉग पर आएं www.apnibat.wordpress.com और www.vimarshmedia.blogspot.com
खूबसूरत!!
ReplyDeleteदिल करता है...तो जरुर लिखो..पढ़ने वाले हम तो इन्तजार में हैं ही...शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteExcellent post pashyanti shukla ji
ReplyDeletei am read complitly.....bahut hi khoob soorat likhha hai
gud wishes to u holi festival
from Sanjay bhaskar
दिल.... करता है कि कुछ लिखुँ
ReplyDeleteपर क्या लिखा... नही दिखा ...
कुछ संवेदना थी ... कुछ भाव थे .. कुछ बातें थी ...
पर वो बात खोय़ी थी ... जिसकी लिये रोयी थी ...
तो क्या लिखना जरूरी है ... या ... लिखने के लिये रोना ..?
जब लिखने को दिल करे और लिखने वाले लिख दे.. तो लिखी हुई बात न केवल अच्छी होती है, बल्कि सच्ची भी...
ReplyDeleteहर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें
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