Friday, March 2, 2012

तो दिल करता है कुछ लिखूं.............


जब दिलो-दिमाग में उधेड़बुन चलती है
जब कई सवालों की कसक सी उठती है
जब घर की तो कभी अपने शहर की याद आती है
जब बचपन की यादें रूला जाती हैं

जब मां के सीने की तड़प उठती है
तो दिल करता है कुछ लिखूं.............

जब खुशी छुपाए से नहीं छुपती है
सुनने वालों की जब कमी सी लगती है
जब तन्हाई दिल को चीर जाती है
आंखें यूं ही नम हो जाती हैं
जब और रोने को जी चाहता है
तो दिल करता है कुछ लिखूं.............

जब अपने पराए बन जाते हैं
अविश्वास आसमान से ढाए जाते हैं
जब दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है
जब आंसुओं का बादल फट पड़ता है

जब खुद को भुलाने को जी चाहता है
तो दिल करता है कुछ लिखूं.........

17 comments:

  1. जब खुशी छुपाए से नहीं छुपती है
    सुनने वालों की जब कमी सी लगती है
    जब तन्हाई दिल को चीर जाती है
    आंखें यूं ही नम हो जाती हैं
    जब और रोने को जी चाहता है
    तो दिल करता है कुछ लिखूं.............
    लिखते रहिये , मैं पढ़ती रहूंगी

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  2. मन के द्वंद्व को सुंदरता से बांधा है ..

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  3. तन्हाई से निकली कविता है, ज़ज्बात के अलफ़ाज़ है, तभी तो अनकही है .

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  4. तन्हाई से निकली कविता है, ज़ज्बात के अलफ़ाज़ है, तभी तो अनकही है .

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  5. कविता खुद के लिये या दुसरो के लिये नही होती...खुद के लिये और उद्सरो के लीये की गई कवित होती है केवल मनोरंजन...जो दिल से निकले..अहसासो को झकझोरे...जिंदगी के उन गुमसुम पलो का...उन अनसुलझे यादो की दास्तान है कविता...मनोरंजन मात्र नही है कविता..वह तो है मनस्पंदन...जरुरी नही की कॊई...सराहे...कॊई तारीफ करे...नुमाईश तो केवल होती है बाजारो मे...मन के स्पंदनो की नुमाईश नही होती...नाही तिजारत होती है दिल के गुबारो की...बस होता है एक अहसास एक पुकार दिल की दिल से निकली एक आह..को एक आत्मसंतुष्ठी का थाह देने की...कोशिश है ये कविता...

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  6. मन के भावनाओं को बड़ी सुंदरता से अपने कविता में उकेरा है....सुंदर रचना

    पश्यंती जी,..आपका फालोवर से हूँ,आप भी बने मुझे खुशी होगी,..
    मेरे पोस्ट पर आइये स्वागत है .....

    NEW POST...फिर से आई होली...

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  7. जब कभी बातों-बातों में आंख भर आती है,
    जब बीते दिनों की याद दिल को सला जाती है,
    तब जी चाहता है कुछ लिखूं ...

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  8. जब बातों-बातों में आंख भर आती है,

    जब अनकही बातें दिल को सला जाती हैं,

    तो दिल चाहता हूं कुछ लिखू ...

    आप भी हमारे ब्‍लॉग पर आएं www.apnibat.wordpress.com और www.vimarshmedia.blogspot.com

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  9. जब बातों-बातों में आंख भर आती है,

    जब अनकही बातें दिल को सला जाती हैं,

    तो दिल चाहता हूं कुछ लिखू ...

    आप भी हमारे ब्‍लॉग पर आएं www.apnibat.wordpress.com और www.vimarshmedia.blogspot.com

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  10. दिल करता है...तो जरुर लिखो..पढ़ने वाले हम तो इन्तजार में हैं ही...शुभकामनाएँ...

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  11. Excellent post pashyanti shukla ji
    i am read complitly.....bahut hi khoob soorat likhha hai

    gud wishes to u holi festival
    from Sanjay bhaskar

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  12. दिल.... करता है कि कुछ लिखुँ
    पर क्या लिखा... नही दिखा ...

    कुछ संवेदना थी ... कुछ भाव थे .. कुछ बातें थी ...
    पर वो बात खोय़ी थी ... जिसकी लिये रोयी थी ...


    तो क्या लिखना जरूरी है ... या ... लिखने के लिये रोना ..?

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  13. जब लिखने को दिल करे और लिखने वाले लिख दे.. तो लिखी हुई बात न केवल अच्छी होती है, बल्कि सच्ची भी...

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  14. हर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें

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