Friday, September 3, 2010

कोई जाए ज़रा ढूंढ के लाये न जाने कहां नींद खो गई

रात के 2 बजकर 57 मिनट हो चुकें हैं लेकिन आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं है. न ये किसी से मिलने की खुशी है और न हि किसी से बिछड़ने का गम. ये न किसी के प्यार का वो जुनून है जो सोने नहीं देता और न हि किसी की बेवफाई की कसक जिसके काटे से अब रातें नहीं कटती. सच बताऊं तो ये आंखों में गुज़रती रातें एक आदत का परिणाम हैं जानते हैं कौन..नहीं पता अरे वही जिसके बिना काटे नहीं कटते दिन ये रात, न सुबह होती है न शाम होती है, जिंदगी यूंही तमाम होती है... नहीं समझे ना, चलिए हम बता ही देते हैं, अरे वही अपना इंटरनेटजिसकी गिरफ्त में आज पूरा विश्व है, और पिछले कुछ दिनों से मै भी, अभी भी फेसबुक पर 22 लोग आनलाइन हैं यानि मेरे जैसे मेरे 21 दोस्त और हैं..आपको पता है मै और मेरा इंटरनेट एक दूसरे के पूरक बन गए हैं इन दिनों..पूरक बोले तो COMPLEMENTRY TO EACHOTHER. सुख दुख के साथी. 
बड़ी अजब दुनिया है भई इंटरनेट की, नए रिश्ते चैट करते करते यहीं पुराने हो जाते हैं और पुराने यहां नए, फेसबुक और आरकुट हर महीने नए एप्लीकेशन्स के साथ एक नए कलेवर में एक दूसरे को मुंह चिढ़ाते हैं, और उन एप्लीकेशन्स को एप्लाई करने की कोशिश में रात हमें मुंह चिढ़ाती हुई निकल जाती है. सुबह आती है उम्मीद जगती है कि कल की रात आज जैसी नहीं होगी, हम सोचते हैं कि कल से टाइम पर सोना है लेकिन ये मुआं इंटरनेट, ये सोने दे तब ना..ये तो हाथ धोके ही पीछे पड़ गया रे. मेरा दिल तो बस एक ही गाना गुनगुनाता है आजकल...... कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन, बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे प्यारे दिन...!!!!!!!
(दुनियाभर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों का आँकड़ा 2013 तक बढ़कर 2.2 अरब हो जाने की उम्मीद है। तकनीक और बाजार अनुसंधान फर्म फॉरेस्टर रिसर्च की रपट के अनुसार 2013 तक दुनिया में इंटरनेट इस्तेमालकर्ताओं की संख्या 45 प्रतिशत बढ़कर 2.2 अरब हो जाएगी। इस बढ़ोतरी में सबसे ज्यादा योगदान एशिया का रहेगा। रिपोर्ट के मुताबिक 2013 तक भारत इंटरनेट यूजर्स के मामले में चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर होगा। 2008 में दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 1.5 अरब थी।)

7 comments:

  1. sach mein pashyanti ji...
    aaj yeh internet ka nasha apne charam par hai....
    woh sukun bhari shaam kahin kho gayi jab hum dheema sangeet suna karte the...
    woh subah kahin gum si hai jab bhagwaan ki aarti gaya karte the....

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  2. aur haan aapko apne blog par dekhe bahut din ho gaye shayad.....
    agar aap internet par hi bzy hain to ek nazar idhar bhi ho jaye.....

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  3. :) :) यह नेट का नशा है... उतरने वाला नहीं

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  4. मैं शराब नहीं पीता. मांस-मच्छी भी नहीं. सिगरेट, तम्बाकू, गुटका आदि के सेवन से करोड़ों कोसों दूर हूँ.
    बस एक ही लत है: इन्टरनेट की.
    है कोई उपाय के ये छूटे?
    देखिये चलते चलते ट्विटर का पता भी देता जा रहा हूँ!!!
    आशीष
    --
    अब मैं ट्विटर पे भी!
    https://twitter.com/professorashish

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  5. ये न ख़ुशी या गम है ,जूनून या कसक .ये एक नयी दुनिया गढ़ता जा रहा है .कहने को तो वर्चुअल लेकिन भारतीय परिप्रेक्ष्य में उतना नहीं .यहाँ कुछ न कुछ आत्मीय होने ही लगता है . नींद उड़ा देने की ताकत रखने वाला ये माध्यम अपनी गिरफ्त में लिए जा रहा है ,एक फिसलन भरी राह की तरह .परिचितों से चर्चा और नए लोगों से संवाद का आकर्षण इसे और रोमंचक बना रहा है .

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  6. beete hue din koi loutata nahi......
    khud talashne padte hain........

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